लखनऊ तेलीबाग में चल रही राम लीला में दिखती पर्वतीय संस्कृति की झलक मोहन भट्ट

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ब्राम्ह अनुभूति अखबार यूपी लाइव न्यूज 24 उत्तर प्रदेश

संपादक प्रवीण सैनी

शहर की रामलीलाएं अपनी अपनी विशेषताओं को लेकर जानी जाती हैं तेलीबाग की रामलीला पर्वतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती हैं इस क्षेत्र में रामलीला सर्वप्रथम 1987 में कुमाऊं सांस्कृतिक मण्डल के बैनर तले हुई प्रमुख रूप से भैरव दत्त जोशी, माधव राम उपाध्याय, गोपाल सिंह, बसंत बल्लभ तिवारी, के एन भटट, भैरव दत्त फुलारा, डीके तिवारी, महेश चन्द्र डालाकोटी एवं अन्य ने मिलकर रामलीला की नींव रखी कुमाऊँ सांस्कृतिक मण्डल के बैनर तले 20 वर्ष रामलीला का आयोजन हुआ उसके बाद क्षेत्र की सभी संस्थाओं को मिलाकर पर्वतीय रामलीला समिति के बैनर तले इसका आयोजन वृहद रूप से किया जाता रहा है उस छोटे से वृक्ष ने आज बहुत बड़ा वट वृक्ष का रूप ले लिया है पर्वतीय रामलीला तेलीबाग द्वारा बुधवार को रामलीला के पुरोहित वासुदेव पांडेय ने मंत्रोचार ओर पर्वतीय महा परिषद के अध्यक्ष गणेश जोशी ने दीप प्रज्वलित करके रामलीला का शुभारम्भ किया तत्पश्चात ऋषिमूक पार्वत में सुग्रीव के साथ राम की मित्रता के साथ रामलीला की शुरुआत हुई। बाली और सुग्रीव का भयंकर युद्ध होता है राम द्वारा बाली का वध कर दिया जाता है उसके बाद सुग्रीव को राजा एवं अंगद को युवराज घोषित करते है सभी वानर समुद्र की और सीता की खोज करते-करते पहुँच जाते हैँ जमवंत हनुमान जी को उनके शक्ति की याद दिलाते हैँ हनुमान जी हवा के वेग से उड़ते हुऐ लंका में प्रवेश करते है । अशोक वाटिका में सीता माता से उनकी मुलाक़ात होती है। भूख लगने पर हनुमान जी अशोक वाटिका में फल खाने जाते हैँ मेघनाथ हनुमान को बांधकर रावण के पास ले जाता हैँ रावण पूँछ में आग लगाने का आदेश देता है हनुमान पूरी लंका को जाला देतें हैँ और वापस श्री राम के पास आकर सारा वृतांत सुनते हैँ और सीता द्वारा दी गई मुद्रीका राम को दिखाते हैँ श्रीराम अंगद को दूत बनाकर रावण के पास सन्धि के लिए भेजते हैँ। अंगद रावण के दरबार में पहुंचकर रावण को समझते हैँ की सीता माता को वापस कर दो पर रावण नहीं मानता है अंगद वापस श्रीराम के पास आ जाते हैँ राम युद्ध की घोषणा करते हैँ लक्ष्मण मेघनाथ में भीषण युद्ध होता है मेघनाथ लक्ष्मण पर शक्ति बान का प्रयोग करके घायल कर देतें हैँ लक्ष्मण शक्तिहिन होकर पृथ्वी पर गिर जाते हैँ राम लक्ष्मण को मूरछित देखकर विलाप करने लग जाते हैँ विभीषण द्वारा राम को बताना की लंका में सुशेन वैद्य ठीक कर सकते हैँ हनुमान वायु की गति से उड़ कर सुसेन वैद्य को लेकर आते हैँ सुसेन वैद्य सजीवन बूटी सुबह होने से पहले हिमालय पार्वत से लाने को कहते हैँ हनुमान वायु की गति से उड़कर हिमालय में पहुँच जाते हैँ वहां उनको सजीवन बूटी समझ में नहीं आती है तो वह पूरा पर्वत ही उठा लेते हैँ सुसेंन वैद्य पर्वत से सजीवन बूटी को ढूंढ़कर लक्ष्मण को ठीक कर देतें हैँ रावण कुम्भकर्ण को राम लक्ष्मण से युद्ध के लिये भेजते है राम युद्ध मे कुम्भकर्ण का वध कर देते है

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