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संपादक प्रवीण सैनी लखनऊ
सबका साथ, सबका विश्वास, सबको तीर्थ’ – डॉ. राजेश्वर सिंह की ‘रामरथ यात्रा’ बनी नई सामाजिक प्रेरणा
लखनऊ भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह द्वारा संचालित ‘रामरथ-श्रवण अयोध्या यात्रा’ निःशुल्क बस सेवा ने समाजसेवा, श्रद्धा और जनसंबंध के क्षेत्र में स्वर्णिम इतिहास रच दिया है। गुरुवार को आशियाना सेक्टर स्थित जगदम्बेश्वर महादेव मंदिर से 50वीं यात्रा का शुभारंभ हुआ, जिसमें 2 बसों के माध्यम से सेकंड इनिंग सीनियर सिटीजन क्लब के लगभग 120 वरिष्ठ नागरिकों को अयोध्या धाम के दर्शन कराया गया। सरोजनीनगर विधायक द्वारा संचालित यह यात्रा सामाजिक समरसता, सद्भावना और समर्पण की जीवंत गाथा और एक ऐसा अभियान जिसने श्रद्धा को सेवा से, भक्ति को मानवता से और आस्था को आत्मीयता से जोड़ा है।
*यात्रा का इतिहास और उद्देश्य* :
इस सेवा का शुभारंभ 27 सितंबर 2022 को डॉ. राजेश्वर सिंह ने अपनी माता स्वर्गीय श्रीमती तारा सिंह जी की पावन स्मृति में किया था। आरंभ से लेकर अब तक यह यात्रा सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र के 7,000 से अधिक श्रद्धालुओं को अयोध्या धाम के दर्शन करा चुकी है, जिनमें वरिष्ठ नागरिक, महिलाएँ, छात्र-छात्राएँ, प्रशिक्षणार्थी और वृद्धाश्रमों के बुजुर्गजन शामिल हैं।
यह सेवा विशेष रूप से उन लोगों के लिए वरदान सिद्ध हुई है, जिनके लिए आर्थिक या शारीरिक कारणों से अयोध्या दर्शन केवल एक सपना था।
यात्रा के दौरान डॉ. सिंह की टीम यात्रा के प्रत्येक चरण में सक्रिय रहती है और यात्रियों की सुविधा, भोजन-जलपान, प्रसाद और चिकित्सीय सहायता तक का पूरा प्रबंध सुनिश्चित करती है। अयोध्या में जहाँ बसें नहीं पहुँच पातीं, वहाँ श्रद्धालुओं को बैटरी रिक्शा से ‘रामलला’, ‘हनुमानगढ़ी’ और ‘सरयू तट’ तक दर्शन कराए जाते हैं, ताकि हर यात्री की भक्ति यात्रा पूर्ण और आनंदमयी हो।
*श्रवण कुमार की भूमिका में विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह :*
इस यात्रा ने सरोजनीनगर की पहचान को एक नई दिशा दी है। यहाँ के बुजुर्गजन आज गर्व से कहते हैं कि, “हमारे विधायक नहीं, हमारे ‘श्रवण कुमार’ हैं डॉ. राजेश्वर सिंह।” वास्तव में, उन्होंने यह सिद्ध किया है कि राजनीति केवल पद का नहीं, सेवा-संकल्प का माध्यम हो सकती है। 50 यात्राओं का सतत संचालन यह दर्शाता है कि उनके लिए जनसेवा दिखावे की नहीं, आत्मा की अनुभूति है। उनकी इस पहल ने यह भी साबित किया है कि जब सेवा में श्रद्धा जुड़ जाती है, तो वह आंदोलन बन जाती है और जब आस्था में करुणा जुड़ती है, तो वह समाज को जोड़ देती है।
*यात्रा के भाव और संदेश :*
*धर्म और समाज सेवा का समन्वय* – ‘रामरथ-श्रवण यात्रा’ यह सिखाती है कि धर्म केवल पूजा नहीं, बल्कि सेवा, सम्मान और सहानुभूति का विस्तार है।
डॉ. सिंह का मानना है कि, “श्रद्धा तभी सार्थक है जब वह किसी के चेहरे की मुस्कान और किसी के जीवन की राहत बन जाए।”
*वृद्धों का सम्मान और सामाजिक एकता का सेतु* – यह यात्रा उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए आध्यात्मिक संतोष और सामाजिक सम्मान का माध्यम बन चुकी है।
यह आयोजन पीढ़ियों के बीच भावनात्मक सेतु के रूप में उभरा है, जहाँ युवाओं में सेवा की भावना जागृत होती है, और बुजुर्गों को स्नेह, आदर और अपनत्व मिलता है।
*सद्भावना और समरसता का प्रतीक* – इस यात्रा में हर वर्ग, हर समुदाय, हर क्षेत्र के लोग एक साथ जुड़ते हैं, बिना किसी भेदभाव या सीमा के। यह दृश्य ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की आत्मा का सजीव प्रतीक है, जहाँ रामभक्ति सामाजिक एकता का आधार बन जाती है।
*आस्था से जनसेवा तक – डॉ. राजेश्वर सिंह की दृष्टि:*
“रामकाज कीन्हे बिनु मोहि कहाँ विश्राम।” इसी भाव के साथ “रामरथ यात्रा आस्था की ऊर्जा को सेवा की दिशा में परिवर्तित करती है। यह हर उस हृदय को प्रेरित करती है जो ‘राम’ में विश्वास रखता है और समाज के लिए कुछ करना चाहता है।” डॉ. सिंह के अनुसार, यह यात्रा ‘सेवा के माध्यम से साधना’ है, हर यात्रा के साथ नए श्रद्धालु जुड़ते हैं, नई कहानियाँ बनती हैं और समाज में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है।
*आगे की दिशा* : डॉ. राजेश्वर सिंह का कहना है कि, सरोजनीनगर परिवार के लिए यह यात्रा अनवरत जारी रहेगी। ताकि आने वाले समय में अधिकाधिक श्रद्धालु, विशेषकर महिलाएँ और वरिष्ठ नागरिक, इस पावन यात्रा का लाभ उठा सकें।