तीस नवंबर को रामलीला मैदान में होने वाली भीम रैली में ज़्यादा भीड़ होने के कारण अनुमति रद्द

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ब्राम्ह अनुभूति अखबार यूपी लाइव न्यूज 24 उत्तर प्रदेश

संपादक प्रवीण सैनी

नई दिल्ली, 25 नवंबर, 2025.
डॉ उदित राज, पूर्व सांसद और चेयरमैन- दलित, ओबीसी, माइनॉरिटीज और आदिवासी संगठनों का परिसंघ (डोमा परिसंघ) ने कहा कि रामलीला मैदान में भीम रैली के लिए आवेदन किया। दिल्ली पुलिस ने भारी भीड़ जुटने और हाई अलर्ट का हवाला देते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया है। हम पूर्व में करीब ऐसे बीस कार्यक्रम कर चुके हैं, तब कभी भी भारी भीड़ को कारण बताते हुए अनुमति रद्द नहीं की गई। रामलीला मैदान का स्थल भीड़ जुटाने के लिए ही है । लगता है डॉ अंबेडकर के नाम से घृणा है। भीम शब्द से बीजेपी को अंदरूनी रूप से भयंकर नफ़रत है। दूसरा कारण संविधान और वोट बचाने जैसे मुद्दे से भारी असहमति है । इनके अतिरिक्त जो अन्य मुद्दे, जैसे – संविधान बचाना, आरक्षण की सीमा 50% से बढ़ाना, वोट चोरी को रोकना एवं बैलट पेपर से चुनाव, जाति जनगणना, वक़्फ़ बोर्ड में हस्तक्षेप को रोकना, निजीकरण पर रोक और उसमें आरक्षण, उच्च न्यायपालिका में आरक्षण, खाली पदों पर भर्ती, भूमि आवंटन, समान शिक्षा, ठेकेदारी प्रथा की समाप्ति, धार्मिक आजादी, सरकारी धन से चल रही परियोजनाओं में आरक्षण, किसानों को न्यूनतम मूल्य की गारंटी, आदिवासियों को जल, जंगल व जमीन से वंचित किए जाने से रोकने, पुरानी पेंशन की बहाली आदि से भी मोदी सरकार नफ़रत करती है।बिहार चुनाव के बाद हौसले और बुलंद हो गए हैं ।
बीजेपी ख़ुद न कहकर समर्थकों से दलित-ओबीसी विरोधी बाते कहलवा रही है जैसे मोदी जी के गुरु रामभद्राचार्य ने आरक्षण को जाति के आधार पर और दलित एक्ट को खत्म करने की बात कही है। सरकार के सहयोग से धीरेन्द्र शास्त्री हिंदू राष्ट्र बनाने की यात्रा कर रहे हैं। रैली की अनुमति न देने में ये भी कारण हैं क्योंक हमारी रैली संविधान और डॉ अंबेडकर के पक्ष में है।
4 जुलाई 2025 को एमसीडी ऑफिस में रैली करने के लिए आवेदन दिया गया था और एनओसी के लिए पत्र जारी हुआ जो डीसीपी ऑफिस में जमा किया गया। फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व के नियम का उलंघन करते हुए दूसरे संगठन को 29-30 नवंबर के लिए एनओसी पुलिस ने दे दिया। जैसे ही हमे पता लगा तो उसका विरोध किया और फिर एमसीडी ऑफिस ने दुबारा एनओसी के लिए पत्र दिया और उसे डीसीपी ऑफिस में एनओसी के लिए जमा किया। पुलिस का इरादा था कि अंतिम दिन तक न बतायें, यह चाल हम समझ गए और बार बार संपर्क करने के बाद 24 नवंबर को अनुमति रद्द करने का आदेश मिला। इससे स्पष्ट हो जाता है कि किसी भी हाल में हमें रैली न करने देने का मन सरकार ने बना रखा था।
एड. शाहिद अली, डोमा परिसंघ के राष्ट्रीय महासचिव ने बताया कि इस रैली में बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग शामिल हो रहे थे इसलिए सरकार ने इसे रोका ताकि सब एक न होने पाएं। उन्होंने कहा कि मुसलमानों की अब अपनी सुरक्षा और अधिकार के लिए दलित और ओबीसी के साथ एक जुट होना होगा। मुस्लिम समाज एक स्तर पर मनुवादी विचारधारा के ख़िलाफ़ एक जुट है इसलिए इनका नेतृत्व आपने गाँव और बस्ती से बाहर निकले और उनके साथ खड़े हों जो संविधान बचाने के लिए लड़ रहे हैं।
कुनाल कुमार बिहारी, जेएनयू के छात्र नेता, ने कहा कि बड़े स्तर पर जेएनयू, जामिया और दिल्ली यूनवर्सिटी के छात्र एवं युवा डोमा से जुड़ रहे हैं और सरकार को जैसे ही इसका आभास हुआ तो षड्यंत्र के तहत रैली की अनुमति रद्द कर दिया है।
डॉ. अंशु एंथोनी, दिल्ली प्रदेश डोमा परिसंघ के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि बड़े स्तर पर ईसाई समाज के साथ जुल्म हो रहा है जो अधिकतर दलित और आदिवासी हैं। उन्होंने तय किया है कि जो संविधान की रक्षा के लिए लड़ रहें उनके साथ खड़ा होना ही समय की जरूरत है।
सतीश सांसी, डोमा परिसंघ के राष्ट्रीय कॉर्डिनेटर और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष परवेज़ आलम ख़ान ने कहा कि दिल्ली से सैकड़ों बसों से लोग संविधान बचाओ रैली में आने के लिए तैयार हैं। हमारा आंदोलन शांति पूर्वक होगा। डॉ. उदित राज जी सच बात करते हैं तो क्या उनकी यही गलती है? उनके नेतृत्व में विशाल भीड़ और संगठन है इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है और इसी आधार पर अनुमति रद्द कर दी गयी है। कुछ दिन पहले उनके घर का सामान फेकवा दिया गया था और उनकी सुरक्षा वापिस ले ली गई थी ।देश का दलित, ओबीसी, माइनॉरिटीज और आदिवासी डॉ. उदित राज के साथ मजबूती से खड़ा है और रहेगा

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