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संपादक प्रवीण सैनी लखनऊ
डॉ राम बहादुर मिश्र को समर्पित अवधी ग्रन्थ “अवध-अवधी: विविध सन्दर्भ” का हुआ विमोचन
लखनऊ अवधी भाषा-साहित्य और संस्कृति की परम्परा अत्यंत प्राचीन और समृद्ध है। यह मात्र बोली नहीं अपितु इसे भाषा का गरिमामयी गौरव प्राप्त है। विशेष तथ्य यह है कि भगवान राम और भगवान बुद्ध अवध और अवधी की पावन माटी में पैदा हुए।
यह विचार विधान परिषद सदस्य पवन सिंह चौहान ने लखनऊ के राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में गुरुवार को व्यक्त किए। श्री चौहान उ.प्र. साहित्य सभा के अवधी प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित ‘ अवधी समारोह 2025 में मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार प्रस्तुत कर रहे थे। इस अवसर पर पवन सिंह चौहान ने अवधी के प्रख्यात कवि चंद्रभूषण त्रिवेदी रमई काका को भी याद किया। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे विश्वविद्यालय में भी अवधी का भी एक बड़ा विभाग होगा।
समारोह की अध्यक्षता कर रही पद्मश्री विद्या बिंदु सिंह ने इस अवसर पर विमोचित अवधी शोध ग्रंथ- अवध- अवधी : विविध संदर्भ के विषय में बोलते हुए कहा कि डाक्टर राम बहादुर मिश्र नैसर्गिक प्रतिभा सम्पन्न एक ऐसे अवधी साहित्य साधक हैं जिनकी समूची कर्तव्य तल्लीनता सिर्फ और सिर्फ अवधी को समर्पित है। वस्तुतः डाक्टर मिश्र अवधी के आन्दोलन के ध्वज वाहक हैं।
ग्रंथ के प्रबंध सम्पादक इं. रमाकान्त ‘रामिल’ ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा – डॉ. राम बहादुर मिश्र की अवधी साधना को समर्पित यह सारस्वत सृजन अवधी का इंसाइक्लोपीडिया है, जिसमें अवधी भाषा-साहित्य के विविध संदर्भ लिपिबद्ध हैं।
शोध ग्रंथ के सम्पादक डॉ. शिवप्रकाश अग्निहोत्री ने कहा कि अवधी पर केन्द्रित यह सारस्वत अनुष्ठान अवधी भाषा-साहित्य और संस्कृति की समृद्ध परम्परा का आख्यान है जिसमे अवधी के वैश्विक परिदृश्य और उसका बौद्धिक विरासत का महत्वपूर्ण दस्तावेज है।
डॉ. राम बहादुर मिश्र ने अवधी भाषा के समकालीन परिदृश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समकालीन अवधी साहित्य हिन्दी के समानांतर निर्बाध गति से विस्तार पा रही है, परिणामस्वरूप अवधी में कहानी, उपन्यास, लघुकथा यात्रा वृत्तांत, निबंध, एकांकी, नाटक, रेडियो रूपक, वाल, पत्र साहित्य, गीत, नवगीत, मुक्तक, गजल, हाइकु सहित पारम्परिक काव्य विधाओं से लैस है।
समारोह में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ के भाषा समन्वयक और अवधी शोध पीठ के नियेता डॉ. नीरज शुक्ला ने अवधी शोध पीठ की गतिविधियों पर प्रकाश डाला और विश्व विद्यालय से निकट भविष्य मे अवधी डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रारंभ करने की चर्चा की। नेपाल से आये अवधी बिहानों ने नेपाल में अवधी की दशा और दिशा के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा की।
ग्रंथ के समन्वयक डॉ0 सेतलाल ने ग्रंथ की उपादेयता के परिप्रेक्ष्य में बताया कि यह शोध ग्रंथ सर्वाधिक रूप से शोधार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम में नेपाल से पधारी साहित्यकार कृष्णा पाण्डेय और डाक्टर हरिप्रसाद तिमिर सीना विशेष रूप से उपस्थित रहे।
अवधी समारोह में आमंत्रित साहित्यकारों का स्वागत करते हुए साहित्य सभा के संस्थापक सर्वेश अस्थाना ने बताया कि यह आयोजन सभा के अवधी प्रकोष्ठ द्वारा किया जा रहा है।
आयोजन चार सत्रों में सम्पन्न होगा। कार्यक्रम में अवध भारती संस्थान, अवधी विकास संस्थान लखनऊ, अवधी- साहित्य संस्थान अमेठी सहित आठ संस्थाओं ने इसमे सहभागिता की।
उद्घाटन सत्र का संचालन वरिष्ठ अवधी साहित्यकार प्रदीप सारंग और आभार प्रदर्शन अबधी साहित्य संस्थान अमेठी के अध्यक्ष प्रो. अर्जुन पाण्डेय ने किया
दूसरे सत्र’ विचार सभा का विषय प्रवर्तन नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान ने किया। आभार प्रदर्शन विश्व सेवा संस्थान के अध्यक्ष रत्नेश कुमार ने किया। तीसरे सत्र अवधी कवि सम्मेलन का संचालन कवि प्रदीप सारंग ने किया।
लखनऊ निवासी कवि अशोक अज्ञानी ने अम्मा शीर्षक से हृदय स्पर्शी कविता पढ़ी। बाराबंकी के सन्दीप अनुरागी ने गंगा शीर्षक से कविता पढ़ी।
इसके अलावा
प्रतापगढ़ के अनीस देहाती, रायबरेली से सूर्य प्रसाद शर्मा निशिहर और बाराबंकी के अजय प्रधान ने अंतिम तथा चौथा सत्र सांस्कृतिक संध्या के नाम था जिसका संयोजन, संचालन और कार्यक्रम प्रदर्शन लोकगायिका कल्चर दीदी कुसम वर्मा ने किया।