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ब्यूरो प्रमुख दुर्गेश अवस्थी
काकद्वीप पत्नी म्यांमार की है, पति बांग्लादेश का है, और ससुराल वाले भारत के रहने वाले हैं. एक ही परिवार के तीन सदस्य तीन अलग-अलग देशों के नागरिक हैं. पश्चिम बंगाल में चल रही एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) प्रक्रिया के बीच दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप के गणेशपुर में यह मामला सामने आया है
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, गणेशपुर की रहने वाली कृष्णा दास, जो एक गृहिणी हैं, अभी पांच महीने की गर्भवती हैं. गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य देखभाल के लिए एक हेल्थ कार्ड सिस्टम लागू है. स्थानीय स्वास्थ्य उप-केंद्र में मेडिकल इलाज उपलब्ध है. हालांकि, कृष्णा के पास यह कार्ड नहीं था. इसलिए वह अपने दस्तावेज सत्यापित करवाने के लिए उप-केंद्र गईं. तभी पता चला कि वह महिला म्यांमार की रहने वाली है.
पता चला है कि कृष्णा दो महीने पहले अपने पति के साथ म्यांमार से काकद्वीप आई थी. उसके पास म्यांमार का वोटर आईडी कार्ड भी है. उसका असली नाम आये तंडार है. अब उसे कृष्णा दास के नाम से जाना जाता है. कृष्णा के पति का नाम राम दास है. वह पहले बांग्लादेश में रहता था. लेकिन कृष्णा के ससुर राजू दास और सास सुमति दास करीब 15 साल पहले बॉर्डर पार करके काकद्वीप आ गए थे. फिलहाल, वे गणेशपुर में एक किराए के घर में रहते हैं. उनके पास भारतीय वोटर और आधार कार्ड हैं.
कृष्णा के पति राम दास बांग्लादेश में बिजनेस करते थे. वह बिजनेस के सिलसिले में नियमित रूप से म्यांमार जाते थे. इसी सिलसिले में उनकी मुलाकात म्यांमार की रहने वाली आये तंडार उर्फ कृष्णा से हुई और उन्होंने उससे शादी कर ली. उसके बाद पति-पत्नी म्यांमार से बॉर्डर पार करके मिजोरम आ गए. वहां से दो महीने पहले राम दाम अपनी पत्नी के साथ अपने माता-पिता के पास काकद्वीप आ गए. हालांकि वे अभी यहां रह रहे हैं, लेकिन उन दोनों के पास न तो भारत का वोटर कार्ड है और न ही आधार कार्ड. राम दास की मां सुमति दास और उनकी पत्नी कृष्णा ने इस बात की पुष्टि की है.
परिवार के सदस्यों के बयान
सुमति दास ने कहा, “हम 15 साल पहले बांग्लादेश से काकद्वीप आए थे. हमारे पास आधार और वोटर कार्ड हैं. मेरा बेटा दो महीने पहले बांग्लादेश से यहां आया है. मेरी बहू उसके साथ है. मेरी बहू म्यांमार से यहां आई है. हमने अपनी बहू के लिए यहां आधार कार्ड और वोटर कार्ड के लिए अप्लाई किया है.”
कृष्णा दास ने कहा, “मुझे अपने पति के साथ ससुराल आए हुए दो महीने हो गए हैं. मेरे पति बांग्लादेश के रहने वाले हैं. मेरे पति बिजनेस के लिए म्यांमार आते थे. इसी तरह हम मिले, और मैंने उनसे शादी कर ली. शादी के बाद मैं भारत आई.”
घर की मालकिन शिखा दास ने कहा, “दो महीने पहले कृष्णा यहां घर किराए पर लेने आई थी, लेकिन हमने उसे मना कर दिया. अब वह दूसरे मोहल्ले में रहती है. कृष्णा का पति उसे छोड़कर काम के लिए केरल चला गया है. हमें इससे ज्यादा कुछ नहीं पता.”
काकद्वीप के उप-विभागीय अधिकारी (SDO) प्रीतम साहा ने कहा, “मैंने इस मामले के बारे में सुना है. कानूनी कार्रवाई की जाएगी.”
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं
मथुरापुर से तृणमूल कांग्रेस के सांसद बापी हलदर ने कहा, “BSF की जिम्मेदारी बॉर्डर की सुरक्षा करना है. गृह मंत्रालय बॉर्डर की ठीक से निगरानी नहीं कर रहा है. इसीलिए बांग्लादेश या म्यांमार से घुसपैठिए भारत में घुस रहे हैं. BSF को सीमावर्ती इलाकों में निगरानी बढ़ानी चाहिए.”
बीजेपी नेता कौशिक दास ने कहा कि SIR (विशेष गहन पुनरीक्षण) शुरू होने के बाद से कई खुसाले हो रहे हैं. कितने बांग्लादेशी घुसपैठिए अपना नाम बदलकर लंबे समय से इस देश में रह रहे हैं? राज्य की सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने इन घुसपैठियों को सरकारी मदद से लेकर वोटिंग के अधिकार तक सब कुछ दिया है. पहले भी काकद्वीप में बांग्लादेशी घुसपैठियों के कई मामले सामने आए हैं. अब इस लिस्ट में म्यांमार भी जुड़ गया है. इस बात की जांच होनी चाहिए कि ये घुसपैठिए इस इलाके में वोटर कार्ड और दूसरे सरकारी दस्तावेज कैसे हासिल कर रहे हैं.”
पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इससे पहले चुनाव आयोग राज्य में मतदाता सूची का SIR करा रहा है ताकि अपात्र मतदाताओं को वोटर लिस्ट से हटाया जाए और पात्र नागरिकों का नाम जोड़ा जा सके।