पंद्रह दिन बीत गए, न्याय अधर में मिल्कीपुर एस डी एम मौन, अयोध्या के उच्च अधिकारी भी चुप

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ब्राम्ह अनुभूति अखबार यूपी लाइव न्यूज 24 उत्तर प्रदेश

उप संपादक संजय मिश्रा

अयोध्या

अयोध्या जनपद में एक विधवा महिला के न्याय की लड़ाई अब प्रशासनिक संवेदनहीनता की भेंट चढ़ती दिख रही है उपजिलाधिकारी मिल्कीपुर को दिए गए प्रार्थना पत्र को 15 दिन से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अब तक कोई आदेश, कोई निर्णय, कोई सुनवाई नहीं हुई। हैरानी की बात यह है कि मामले की जानकारी के बावजूद जिलास्तरीय उच्च अधिकारी भी मौन साधे हुए हैं।प्रार्थना पत्र में आरोप है कि न्यायिक तहसीलदार मिल्कीपुर द्वारा पारित आदेश वास्तविक तथ्यों के विपरीत है। पीड़िता ने अपने पति की मृत्यु के बाद परिवार रजिस्टर, मृत्यु प्रमाण पत्र, आधार, पेंशन, राशन कार्ड, चुनाव पहचान पत्र सहित कई दस्तावेज प्रस्तुत किए, जिनमें उसे वैध पत्नी दर्शाया गया है। इसके बावजूद वारसत का लाभ अन्य व्यक्ति के नाम कर दिया गया। पीड़िता का कहना है कि उसने नियमानुसार उपजिलाधिकारी मिल्कीपुर के समक्ष अपील/प्रार्थना पत्र दिया, जिस पर 15 दिनों में निर्णय अपेक्षित था। लेकिन आज तक न तो कोई लिखित आदेश मिला, न ही कोई सुनवाई की तारीख। प्रशासन की यह चुप्पी पीड़ित महिला के अधिकारों का खुला उल्लंघन है।स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों में इस देरी को लेकर रोष बढ़ता जा रहा है। सवाल उठ रहे हैं—क्या विधवा महिला का न्याय इतना सस्ता है?क्या प्रभावशाली पक्ष के दबाव में फाइल दबाई जा रही है?क्या अयोध्या प्रशासन जवाबदेही से ऊपर है?यदि शीघ्र निर्णय नहीं हुआ तो पीड़िता ने जिलाधिकारी, मंडलायुक्त और न्यायालय की शरण लेने की बात कही है। यह मामला अब केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही और महिला अधिकारों की अग्निपरीक्षा बन चुका है।
अब सवाल यह है — क्या अयोध्या प्रशासन जागेगा, या फिर न्याय की फाइलें यूँ ही धूल फांकती रहेंगी?

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