ब्राम्ह अनुभूति अखबार यूपी लाइव न्यूज 24 उत्तर प्रदेश
सह संपादक कपिल गुप्ता
नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी की जांच में खूंखार आईएसआईएस से जुड़े संगठनों को लेकर बड़ा खुलासा किया है. एजेंसी की जांच में हुए चौंकाने वाले खुलासे में पता चला है कि, ISIS से जुड़े आतंकवादी संगठनों के सदस्य तमिलनाडु और केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक सहित अन्य पड़ोसी राज्यों में धार्मिक स्थलों और मंदिरों को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं.जांच के मुताबिक, आतंकवादी संगठनों के सदस्य तमिलनाडु को इस्लामिक स्टेट बनाने के उद्देश्य से सलाफी-जिहादी विचारधारा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं. मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि, उन्होंने इस संबंध में सभी संबंधित राज्य सरकारों को सूचित कर दिया है.
यह खुलासा 2022 के आईएसआईएस से संबंधित कोयंबटूर कार बम विस्फोट मामले की चल रही जांच के बाद सामने आया है. अधिकारी ने बताया कि,जांच के दौरान एजेंसी को पता चला कि तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के कई मंदिर आतंकवादी संगठन के रडार पर हैं.” अधिकारी के मुताबिक, आतंकी संगठन के सदस्य आतंकी फंडिंग में भी शामिल थे.
एजेंसी द्वारा पिछले सप्ताह RC-01/2022/NIA/CHE के मामले में दायर सप्लीमेंट्री चार्जशीट में, शेख हिदायतुल्लाह, उमर फारुक, पावस रहमान, शरण मरियप्पन और अबू हनीफा सहित चार लोगों पर आतंकी वित्तपोषण और अक्टूबर 2022 में कोयंबटूर में एक हिंदू मंदिर, अरुलमिगु कोट्टई संगमेश्वर थिरुकोविल को निशाना बनाकर किए गए आतंकी हमले से जुड़ी अन्य गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया है.
साथ ही, कोयंबटूर कार बम विस्फोट मामले में अब तक कुल 17 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है. जांच के दौरान यह भी पता चला कि, हिदायतुल्लाह और उमर फारुक दोनों ने 2021-2022 में एक फर्जी कोविड वैक्सीन प्रमाणपत्र घोटाला किया था, जिसमें घोटाले से अर्जित धन का इस्तेमाल कार बम हमले के लिए विस्फोटक और अन्य संसाधनों की खरीद के लिए किया गया था. इस घोटाले को आरोपी पावस रहमान और शरण ने अंजाम दिया था, जबकि अबू हनीफा ने फर्जी प्रमाण पत्र बनाने के लिए धन मुहैया कराया था.
इस्लामिक स्टेट के लिए सलाफी-जिहादी विचारधारा
सलाफी जिहादवाद, जिसे सलाफी-जिहादवाद, जिहादी सलाफीवाद और क्रांतिकारी सलाफीवाद के रूप में भी जाना जाता है. यह एक धार्मिक-राजनीतिक सुन्नी इस्लामवादी विचारधारा है जो सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से एक वैश्विक खिलाफत स्थापित करना चाहती है.जिहादी सलाफीवाद अक्सर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को दुश्मन के रूप में देखता है और अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए हिंसा का रास्ता अख्तियार करता है.
गृह मंत्रालय की आतंकवाद और कट्टरपंथ विरोधी इकाई
गृह मंत्रालय का आतंकवाद और कट्टरपंथ विरोधी प्रभाग जो एनआईए सहित अन्य खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर काम करता है, ने कहा कि सलाफी-जिहादी विचारधारा के भूमिगत और भूमिगत अनुयायी भी देश भर में भोले-भाले युवाओं को लालच देकर उन्हें राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
एक दूसरे अधिकारी ने बताया कि,आतंकवाद रोधी और कट्टरपंथ रोधी प्रभाग हमेशा संबंधित राज्य एजेंसियों के संपर्क में रहता है और जब भी भारत में कहीं भी किसी आतंकवादी सदस्य की गिरफ्तारी होती है, तो सभी संभावित कोणों से जांच करने की कोशिश करता है.