लखनऊ खुले में छोड़ी गई गायों से वृद्ध व बच्चे को चोट, नगर निगम ने पशुपालकों के खिलाफ एफआईआर के लिए दी तहरीर

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ब्राम्ह अनुभूति अखबार यूपी लाइव न्यूज 24 उत्तर प्रदेश

संपादक प्रवीण सैनी लखनऊ

नगर निगम ने मौके पर 6 गाय और 2 सांड पकड़े

लखनऊ नगर निगम लखनऊ ने शहर में आवारा छोड़े गए पशुओं से उत्पन्न समस्या पर सख्त रुख अपनाते हुए पशुपालकों के खिलाफ कार्यवाही शुरू कर दी है। हाल ही में सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो और दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर में सामने आया कि गायों के झुंड ने एक वृद्ध व्यक्ति और एक बच्चे पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया था।

घटना का संज्ञान लेते हुए नगर निगम के पशु कल्याण विभाग की टीम ने मौके का निरीक्षण कराया और टीम ने मौके से 6 गाय और 2 सांड पकड़कर कान्हा उपवन में संरक्षित करवाया गया। यह घटना शास्त्री नगर, कुण्डरी रकाबगंज, निकट खजुहा पुलिस चौकी क्षेत्र में हुई थी। निरीक्षण और जांच के दौरान विभाग ने हमलावर गायों के स्वामियों का पता लगाया। जांच में सामने आया कि संबंधित गायें श्री राम सनेही पुत्र स्वर्गीय बाबूराम तिवारी और श्री पप्पी यादव पुत्र अज्ञात की थीं।

विभागीय जांच में सामने आया कि इन पशुपालकों ने गायों को खुले में छोड़ दिया था, जिसके कारण यह घटना घटी। खुले में छोड़े गए पशुओं द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर लोगों को घायल करना पब्लिक न्यूसेंस की श्रेणी में आता है। साथ ही, यह पशु क्रूरता अधिनियम 1960 का उल्लंघन भी है। इसके अतिरिक्त, बिना लाइसेंस गाय पालना भी अपराध की श्रेणी में आता है।

नगर निगम द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के आधार पर इन दोनों पशुपालकों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई। नगर निगम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सहायक पुलिस आयुक्त बाजारखाला और थानाध्यक्ष बाजारखाला को तहरीर सौंपकर संबंधित पशुपालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।

नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि शहर में पालतू पशुओं को खुले में छोड़ना गंभीर अपराध है। इससे न केवल जन-धन की हानि होती है बल्कि शहर की स्वच्छता और यातायात व्यवस्था भी प्रभावित होती है। नगर निगम ने साफ किया है कि भविष्य में यदि कोई पशुपालक अपने मवेशियों को खुले में छोड़ता पाया गया तो उसके खिलाफ भी इसी प्रकार की कठोर कार्रवाई की जाएगी।

नगर निगम ने नागरिकों से भी अपील की है कि वे अपने पालतू पशुओं को सड़क या सार्वजनिक स्थलों पर न छोड़ें। यह न केवल कानूनी अपराध है बल्कि दूसरों की सुरक्षा से भी सीधा जुड़ा हुआ मामला है। पशु क्रूरता अधिनियम 1960 के अंतर्गत इस प्रकार की लापरवाही पर दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित है।

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