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संपादक प्रवीण सैनी
आंखों को चश्मा, सपनों को मंच: डॉ. राजेश्वर सिंह की सरोजनीनगर में प्रेरणा भरी यात्रा
लखनऊ सपनों को साकार करने की राह में बाधाएं नहीं, बल्कि अवसर पैदा करने का संकल्प, यह है सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह का जीवन मंत्र। शुक्रवार को उनके कार्यक्रमों ने एक बार फिर साबित किया कि सच्चा नेतृत्व वह है जो युवाओं को मेडिकल और इंजीनियरिंग की ऊंचाइयों तक पहुंचाए, बुजुर्गों को जीवन की रोशनी दे, और बच्चों की मुस्कान को खिलखिलाहट में बदल दे।
*युवा सशक्तिकरण: NEET-JEE ट्रेनिंग और डिजिटल शिक्षा की नई रोशनी*
बरकताबाद के रण बहादुर सिंह (आरबीएस) डिजिटल शिक्षा एवं युवा सशक्तिकरण केंद्र पर डॉ. सिंह ने युवाओं के साथ उनके सपनों पर गहरा संवाद किया। उन्होंने घोषणा की कि सरोजनीनगर के सभी 14 आरबीएस केंद्रों पर NEET और JEE की डिजिटल सामग्री उपलब्ध होगी, ताकि ग्रामीण युवा बड़े शहरों की कोचिंग से कमतर न रहें। यह पहल हजारों युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता का मार्ग दिखाएगी, जो न केवल उनके परिवारों, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा बनेगी। “हमारा लक्ष्य हर युवा को अवसर देना है, ताकि वे अपनी मेहनत से देश का भविष्य बनें,” डॉ. सिंह ने कहा। साथ ही, इन केंद्रों पर साइबर सिक्योरिटी जैसे आधुनिक कोर्स भी शुरू होंगे, जो डिजिटल युग में युवाओं को सशक्त करेंगे।
*स्वास्थ्य शिविर और निःशुल्क चश्मे: बुजुर्गों को सम्मान, जीवन को रोशनी*
“वृद्धजन हमारे समाज का अनुभव और आशीर्वाद का खजाना हैं,” कहते हुए डॉ. सिंह ने सभी 14 आरबीएस केंद्रों पर स्वास्थ्य शिविर आयोजित करने का वादा किया, जहां नेत्र परीक्षण के बाद जरूरतमंदों—विशेषकर बुजुर्गों—को निःशुल्क चश्मे दिए जाएंगे। बेहटा निवासी पूरण गौतम और उनकी पत्नी रामराखन को नए चश्मों की व्यवस्था का भरोसा दिलाया गया। नारायणपुर की 100 वर्षीय राम चंद्री देवी, जिन्होंने जीवन में अपार दुख सहे, को वृद्धावस्था पेंशन और उनके पौत्र-पौत्रियों के लिए बाल सेवा योजना का लाभ सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया। यह पहल बुजुर्गों को आत्मनिर्भरता और सम्मान देती है, जो युवा पीढ़ी को पारिवारिक दायित्वों की प्रेरणा देती है।
*बच्चों के सपनों को बल: क्रिकेट किट और खेल के अवसर*
तेज किशनखेड़ा की गलियों में डॉ. सिंह बच्चों के साथ क्रिकेट खेलते नजर आए। उनकी आंखों में चमकते सपनों को देखकर वे खुद बच्चे बन गए, चौके-छक्के लगाते हुए। उन्होंने बच्चों को क्रिकेट किट और प्रोत्साहन राशि प्रदान की, ताकि ग्रामीण युवा खेल के मैदान पर अपनी प्रतिभा निखार सकें। “खेल सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि अनुशासन और आत्मविश्वास की सीख है,” डॉ. सिंह ने कहा। यह प्रयास उन लाखों बच्चों को प्रेरित करता है जो संसाधनों की कमी में भी बड़े सपने देखते हैं।
*ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक संरक्षण: छोटे कदम, बड़ा बदलाव*
डॉ. सिंह ने ग्रामीण जीवन की जड़ों से जुड़कर बेहटा में विष्णु कुमार यादव के ट्रैक्टर से खेत जोतकर मिट्टी की सुगंध महसूस की। “मिट्टी से जुड़ाव ही जीवन का असली सुख है,” उन्होंने कहा। खुर्रमपुर के बाबा प्रेमदास स्वीट हाउस पर जलपान का आनंद लेते हुए छोटे व्यवसायों को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताया और इसके सौंदर्यीकरण के लिए ₹50,000 की सहायता प्रदान की। संत प्रेमदास बाबा आश्रम में आशीर्वाद लेते हुए इंटरलॉकिंग और दो हाई मास्ट लाइट की व्यवस्था का वादा किया, ताकि भक्तों को बेहतर सुविधाएं मिलें। तेज किशनखेड़ा गौशाला में गायों को केला-गुड़ खिलाकर और कर्मचारियों को प्रोत्साहन राशि देकर उन्होंने सरोजनीनगर की सभी गौशालाओं में सुविधाएं बढ़ाने का संकल्प दोहराया, जो पर्यावरण और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा का प्रतीक है।
*डिजिटल सशक्तिकरण और बुनियादी विकास*
घुरघुरी तालाब चौराहा पर दुकानदारों से संवाद के दौरान डॉ. सिंह ने डिजिटल सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया। उन्होंने अमावा के गांधी आदर्श विद्यालय को 5 कंप्यूटर और 1 लैपटॉप, तथा बूथ अध्यक्ष बाबूलाल पाल को साइकिल प्रदान करने का आश्वासन दिया। गौरी विहार में जल निकासी, सड़क और नाला जैसी समस्याओं के लिए नगर निगम के माध्यम से शीघ्र समाधान का वादा किया, जो ग्रामीण जीवन को बेहतर बनाने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
*शोक में संवेदना, सेवा में समर्पण*
दुख की घड़ी में डॉ. सिंह संबल बने। गौरी विहार में आशीष तिवारी के पिता परशुराम नाथ तिवारी, नारायणपुर में शिव मोहन सिंह, बेहटा में सावित्री देवी और सरजू प्रताप सरोज, बरकताबाद में अमरजीत सिंह, तथा बदबदाखेड़ा में कृष्ण रावत के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की। परिवारों को शिक्षा, पेंशन, रोजगार, और बाल सेवा योजना जैसे सहयोग का भरोसा दिलाया। “हर दुख में हम साथ हैं, और हर परिवार को सहारा देना हमारा कर्तव्य है,” उन्होंने कहा।