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संपादक प्रवीण सैनी लखनऊ
महापौर ने निरीक्षण कर चिन्हित की जमीन, 13.41 एकड़ क्षेत्र में होगा निर्माण पक्षियों, तितलियों, कीट-पतंगों और इंसानों सभी के लिए होगा उपयोगी बटरफ्लाई गार्डन, वाटर बॉडी, ओपन जिम, कैफेटेरिया और बर्ड-फ्रेंडली गार्डन की सुविधा
– बच्चों व पर्यटकों को पेड़-पौधों और पर्यावरणीय चक्रों की जानकारी मिलेगी
– हरे-भरे घास के मैदान में ऑर्गेनिक उत्पादों के साथ मिलेगा प्राकृतिक अनुभव
– 1,31,250 पौधों से उपवन होगा और भी हराभरा, साथ ही जॉगिंग ट्रैक बनेगा
लखनऊ: गोमती नदी के पास नगर निगम जल्द ही एक नमों वन विकसित करने जा रहा है, जिसे नमो वन नाम दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के शहरों में विशेष रूप से ‘नमो वन’ के नाम से पार्कों के निर्माण की घोषणा की थी। इसी के तहत अब नगर निगम इस उपवन को विकसित करेगा। गुरूवार को माननीय महापौर श्रीमती सुषमा खर्कवाल जी द्वारा इस उपवन के लिए चिन्हित की गयी जमीन का निरिक्षण किया। इस दौरान अपर नगर आयुक्त डॉ. अरविन्द कुमार राव भी उपस्थित रहे। इस उपवन के डिजाइन में इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि पक्षियों, कीट-पतंगों और इंसानों सभी के लिए यह स्थान उपयोगी साबित हो।
*उपवन में यह होगा आकर्षण का केंद्र*
पार्क में घने वृक्षों के साथ ही तितलियों को आकर्षित करने वाले पौधे, बांस की संरचनाएं, वाटर बाडी, ओपन जिम, कैफेटेरिया और बर्ड-फ्रेंडली गार्डन तैयार किए जाएंगे। इसके साथ ही बच्चों और पर्यटकों के लिए शैक्षिक केंद्र बनाए जाएंगे, जहां उन्हें पेड़-पौधों और पर्यावरणीय चक्रों की जानकारी दी जाएगी। पार्क में बने बटरफ्लाई गार्डन में साल भर फूल खिलते रहेंगे ताकि परागण की प्रक्रिया लगातार चलती रहे। यह गार्डन बच्चों और प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षण का बड़ा केंद्र होगा। घैला के पास स्थित करीब 13.41 एकड़ भूमि पर 15 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस नमों उपवन से न केवल पर्यावरण संरक्षण में अहम योगदान मिलेगा बल्कि लोगों को एक स्वच्छ और प्राकृतिक माहौल भी उपलब्ध होगा।
*प्राकृतिक कैफेटेरिया होगा अनोखा आकर्षण*
नमो वन का सबसे बड़ा आकर्षण होगा यहां बनने वाला प्राकृतिक कैफेटेरिया। यह किसी पक्के निर्माण से नहीं बनेगा बल्कि हरे-भरे घास के मैदान को डिजाइन करके तैयार किया जाएगा। यहां बैठने के लिए घास की बनावट और सजावट की जाएगी। यहां आने वाले लोगों को लगेगा जैसे वे किसी प्राकृतिक उद्यान में भोजन कर रहे हों। इस कैफेटेरिया में स्थानीय और ऑर्गेनिक उत्पादों से बनी वस्तुएं भी उपलब्ध कराने की योजना है।
गोमती नदी के पास बनने वाला यह उपवन नमो वन के नाम से बनाया जाएगा। 13.41 एकड़ में बनने वाले इस नमो वन पर्यावरण से आच्छादित होगा। बच्चों और पर्यटकों के लिए शैक्षिक केंद्र बनेंगे। जहां उन्हें पेड़-पौधों और पर्यावरण संबंधी जानकारी मिलेगी। पार्क में बने बटरफ्लाई गार्डन में साल भर फूल खिलेंगे, ऐसे पौधे लगाए जाएंगे ताकि परागण की प्रक्रिया लगातार चलती रहे।
*मियावाकी पद्धति से तैयार होगा उपवन*
इस पार्क में आधुनिक मियावाकी पद्धति से उपवन विकसित किया जाएगा, जो पर्यावरण संरक्षण और हरियाली बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पद्धति के अंतर्गत यहां लगभग 1,31,250 पौधे लगाए जाएंगे। इन पौधों में अधिकतर दीर्घजीवी और पर्यावरण के अनुकूल प्रजातियाँ होंगी, जो न केवल पार्क की सुंदरता को बढ़ाएँगी बल्कि आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ हवा और हरियाली का उपहार देंगी। इसके साथ ही पार्क में नागरिकों की सुविधा के लिए एक सुसज्जित जॉगिंग ट्रैक भी बनाया जाएगा, जिससे लोग हरियाली के बीच सुबह-शाम व्यायाम और सैर का आनंद ले सकेंगे।