यूपी लाइव न्यूज 24 उत्तर प्रदेश
संपादक प्रवीण सैनी
पंजाब नेशनल बैंक को ₹6,498 का चूना लगाने वाले नीरव मोदी को भारत लाने की कोशिशों के बीच नई कानूनी अड़चन आ गई है. भगोड़े नीरव मोदी फिलहाल ब्रिटेन की जेल में बंद है, पर तिकड़मी चाल चलने से बाज नहीं आ रहा है. एक बार फिर से उसने ऐसा कानून के चौसर पर ऐसा पासा फेंका है, जिससे CBI और ED की राह में रोड़े आ सकते हैं. दरअसल, नीरव मोदी ने ब्रिटेन की अदालत में एक फ्रेश अप्लीकेशन दाखिल किया है. हजारों करोड़ का गबन करने के आरोपी नीरव मोदी ने कहा कि प्रत्यर्पण की स्थिति में उसे भारत में पूछताछ और यातना का सामना करना पड़ सकता है. कोर्ट ने नीरव मोदी की इस अर्जी को स्वीकार कर लिया है.
UK की वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की उस अर्जी को स्वीकार कर लिया है, जिसमें उसने अपने प्रत्यर्पण मामले को फिर से ओपन करने की मांग की थी. इस कदम से भारत लाने की प्रक्रिया एक बार फिर से टल सकती है. नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से 6,498 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी समेत कुल 13,578 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है. भारत सरकार और जांच एजेंसियां अब इस ताज़ा कानूनी विकास से निपटने के लिए कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से जवाब तैयार करने में जुट गई हैं. वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अनुसार, अदालत के आदेश की सूचना मिलने के बाद सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मिलकर विस्तृत प्रतिवाद तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
नीरव मोदी ने क्या दी दलील
नीरव मोदी ने अपनी अर्जी में दावा किया है कि भारत प्रत्यर्पित किए जाने पर उन्हें कई एजेंसियों द्वारा पूछताछ और यातना का सामना करना पड़ सकता है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, उसने कुछ गवाहियों का हवाला देते हुए अदालत को यह आश्वस्त करने की कोशिश की है कि भारत में उसे निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी. हालांकि, कोर्ट ने अभी सुनवाई की तारीख तय नहीं की है. ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी अधिकारियों का कहना है कि भारत की ओर से अदालत को स्पष्ट संदेश भेजा जाएगा कि नीरव मोदी के साथ किसी भी तरह का अमानवीय व्यवहार नहीं होगा. एक अधिकारी ने कहा, ‘हमारा जवाब साफ होगा – उन्हें सिर्फ भारतीय कानून के दायरे में ही मुकदमे का सामना करना होगा और किसी एजेंसी द्वारा अवैध पूछताछ की आशंका नहीं है.’ भारत सरकार इस बात पर भी जोर देगी कि 2022 में यूके हाई कोर्ट ने प्रत्यर्पण आदेश को अंतिम रूप दे दिया था और नीरव मोदी के पास कोई अन्य कानूनी विकल्प शेष नहीं था. इसलिए उनकी नई अर्जी को अदालत तत्काल खारिज करे.
प्रत्यर्पण प्रक्रिया पर क्या पड़ेगा असर
नीरव मोदी का प्रत्यर्पण अब तक सुचारु रूप से आगे बढ़ रहा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया ब्रिटेन यात्रा के दौरान दोनों देशों ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे प्रत्यर्पण प्रक्रिया को भी गति मिलने की उम्मीद है. जुलाई में यूके के क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) ने दिल्ली की तिहाड़ जेल का निरीक्षण किया था और वहां की स्थितियों को लेकर सकारात्मक रिपोर्ट दी थी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह नया घटनाक्रम निश्चित रूप से प्रक्रिया को जटिल बनाता है. लेकिन हमारी कोशिश रहेगी कि यह लंबी कानूनी लड़ाई में न बदल जाए.
घोटाला और फरारी
नीरव मोदी को 19 मार्च 2019 को स्कॉटलैंड यार्ड ने भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध पर गिरफ्तार किया था. तब से वह लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में बंद है. 25 फरवरी 2021 को वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने उसके प्रत्यर्पण का आदेश दिया था. 9 नवंबर 2022 को यूके हाई कोर्ट ने भी इस आदेश को बरकरार रखते हुए उसकी अपील ठुकरा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ऑफ यूके में अपील का रास्ता भी उसके लिए बंद हो चुका था. जांच एजेंसियों का आरोप है कि नीरव मोदी और उनकी कंपनियों ने पीएनबी से फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी करवाकर 6,498 करोड़ रुपये का क्रेडिट लिया. इस धनराशि का इस्तेमाल विदेशी बैंकों से क्रेडिट उठाने और nostro खातों को भरने में किया गया, जिसे बाद में विभिन्न विदेशी संस्थाओं और संपत्तियों के माध्यम से बाहर निकाल लिया गया. प्रवर्तन निदेशालय ने नीरव मोदी को 2018 में आर्थिक भगोड़ा घोषित किया. अब तक लगभग 2,598 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है और 981 करोड़ रुपये पीड़ित बैंकों को लौटा दिए गए हैं. वहीं, यूके में मौजूद करीब 130 करोड़ रुपये की विदेशी संपत्ति को भारत लाने की कानूनी प्रक्रिया भी जारी है.