मौन सहिष्णुता नहीं, जागरूकता ही सुरक्षा है” – डॉ. राजेश्वर सिंह ने उठाया डेमोग्राफिक डिस्कोर्स

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ब्राम्ह अनुभूति अखबार यूपी लाइव न्यूज 24 उत्तर प्रदेश

संपादक प्रवीण सैनी लखनऊ

अवैध प्रवासन, लक्षित धर्मांतरण और बदलता डेमोग्राफिक मानचित्र – डॉ. राजेश्वर सिंह का चेतावनी भरा आह्वान

लखनऊ सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर प्रकाशित अपने आत्मीय व विचारोत्तेजक संदेश में कहा कि आज वह समय है जब राष्ट्र की आत्मा – उसकी संस्कृति और सभ्यतागत विरासत पर जागरूकता आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आह्वान किसी समुदाय के विरुद्ध नहीं, बल्कि एक सभ्यतागत चेतना के पुनर्जागरण के लिए है जो समानता, सह-अस्तित्व और सुरक्षा दोनों की बात करता है।

डॉ. राजेश्वर सिंह ने अपने पोस्ट में कहा, “यह युद्ध सीमाओं पर नहीं, बल्कि विचारों के भीतर लड़ा जा रहा है। जब सभ्यता अपने मूल्यों की रक्षा छोड़ देती है, तब अन्य लोग उसकी कहानी लिखते हैं। धर्म की रक्षा किसी मत या आस्था की नहीं, बल्कि सत्य, न्याय और राष्ट्र की रक्षा है।”

*तथ्य जो सोचने पर विवश करते हैं :*
डॉ. राजेश्वर सिंह ने अपने संदेश में Census-2011, NFHS-5 (2019-21), Pew Research (2021) तथा CPS India (2025) के आधार पर देश के विभिन्न राज्यों के धार्मिक-जनसांख्यिकीय आंकड़ों का उल्लेख किया – केरल: हिंदू 54.73%, मुस्लिम 26.56%, क्रिश्चियन 18.38% (1961 में हिंदू ~61%), पश्चिम बंगाल: हिंदू 70.54%, मुस्लिम 27.01% (मुर्शिदाबाद 66%, मालदा 51%, उत्तर दिनाजपुर ~50%), जम्मू कश्मीर: मुस्लिम 68.31%, हिंदू ~28.4% (घाटी ~97% मुस्लिम), नगालैंड 87.9% क्रिश्चियन, मेघालय 74.6%, मणिपुर- हिंदू 41.4%, क्रिश्चियन 41.3%, मुस्लिम 8.4%। इन आँकड़ों के साथ डॉ. राजेश्वर सिंह जी ने Pew Research (2021) के हवाले से यह भी बताया कि 1951 से 2011 के बीच केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में हिंदू आबादी का अनुपात लगातार घटा है।

*“तथ्य महत्वपूर्ण हैं, पर जागरूकता और एकता उससे भी अधिक”*
डॉ. राजेश्वर सिंह जी ने कहा कि भारत की जनसांख्यिकीय संतुलन-रेखा धीरे-धीरे बदल रही है। यह परिवर्तन नीतिगत ध्यान और सामाजिक जागरूकता दोनों की मांग करता है। उन्होंने कहा, “अवैध प्रवासन, लक्षित धर्म परिवर्तन और असमान जनसंख्या वृद्धि जैसे विषय केवल सांख्यिकीय नहीं हैं, ये भारत की नीति, समाज और संस्कृति की दिशा से जुड़े मुद्दे हैं। सनातन धर्म संतुलन और सह-अस्तित्व का प्रतीक है, पर अंधी उदासीनता समाज और सुरक्षा दोनों को कमज़ोर करती है।”

*मूल संदेश -*
भारत की लड़ाई अब सीमाओं पर नहीं, मन और विचारों के भीतर लड़ी जा रही है। बाहरी आक्रमण अब विचार और कथाओं के रूप में आते हैं इसलिए सत्य, शिक्षा और जागरूकता हमारे सबसे मजबूत हथियार हैं। मौन सहिष्णुता शक्ति नहीं, जागरूकता ही संरक्षण है। जब सनातन जागता है, तब भारत फिर उठ खड़ा होता है।

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