यूपी लाइव न्यूज 24 उत्तर प्रदेश
सह संपादक कपिल गुप्ता
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में यूजीसी-मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) में सात दिवसीय लघु-अवधि पाठ्यक्रम संपन्न
प्रयागराज इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज में यूजीसी-मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) में सात दिवसीय लघु-अवधि पाठ्यक्रम/एफडीपी “सामाजिक विज्ञान में शोध पद्धति“ का मंगलवार को समापन सत्र आयोजित किया गया। इसमें टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान, मुंबई के कुलपति प्रो. बद्री नारायण ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि राष्ट्र का विकास अनसंधान और नवाचार से ही होता है।
इस मौके पर प्रो. बद्री नारायण ने कहा कि मूल स्रोतो पर आधारित और उपयोगी शोध ही वह रास्ता है जो भारत को विकसित और वैश्विक महाशक्ति बनाएगा। पश्चिमी मीडिया में यह नैरेटिव बनाया जा रहा है कि इंडिया में कोई ओरिजिनल रिसर्च नहीं हो रही है। हम उस नैरेटिव को कैसे तोड़ेंगे, यह बड़ा सवाल है। यहा भारत को मिथक व आख्यान का जबाब मूल शोध से देने की ज़रूरत है। भारतीय समाज विविधतापूर्ण है। यहां भाषाई और भौगोलिक विविधताओं का संगम है। यह विविधता मूल शोध करने हेतु महत्वपूर्ण स्रोत है। इसके लिए फील्डवर्क करने की जरुरत है, जिससे विश्व को बताया जा सके की हम भारत में मूल शोध कर रहे हैं। उन्होंने भाषाई और क्षेत्रीय अवधारणाओं से उपर उठकर मूल और नवाचार युक्त शोध करने का आवाहन किया। उन्होंने कहा कि सभी शोधार्थियों और शिक्षकों को भारतीय समाज, नीतियों और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया के प्रत्येक बिन्दुओं को मूल शोध के रुप में लिपिबद्ध करना चाहिए। इससे विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त करते हुए भारत विश्व में ज्ञान के शक्तिपुन्ज के रुप में स्थापित रहे।
मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र के निदेशक प्रो. प्रकाश जोशी ने स्वागत भाषण दिया। सत्र का संचालन एफडीपी समन्वयक डॉ. संतोष कुमार ने किया। इसमें देश के विभिन्न प्रतिष्ठित 23 विद्वानों व प्रोफेसरों ने विभिन्न शोध पद्धतिओं पर अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये। इसमें 103 शिक्षकों ने सफलतापूर्वक प्रतिभाग किया।