ब्राम्ह अनुभूति अखबार यूपी लाइव न्यूज 24 उत्तर प्रदेश
रिपोर्टर अरुण प्रताप सिंह
नई दिल्ली जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई, जिनमें से 6 महाराष्ट्र के थे। मृतकों में ठाणे जिले के डोंबिवली के अतुल मोने, संजय लेले और हेमंत जोशी, पुणे के संतोष जगदाले और कौस्तुभ गणबोटे, और पनवेल के दिलीप देसले शामिल हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र के एस बालचंद्रू, सुबोध पाटील और शोबीत पटेल घायल हुए हैं।
*पहलगाम से पुणे लौटे परिवार ने सुनाई आपबीती:*
पहलगाम आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस हमले में पुणे के दो जिगरी दोस्तों संतोष जगदाले और कौस्तुभ गणबोटे की जान चली गई। दोनों अपने परिवार की साथ कश्मीर घुमने गए थे। लेकिन उनकी बचपन की दोस्ती का इस तरह से दुर्भाग्यपूर्ण अंत होगा, यह किसी ने नहीं सोचा था। उनके शवों को बुधवार को श्रीनगर से पुणे स्थित घर पर लाया गया। जहां राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार भी शोक व्यक्त करने पहुंचे। इस दौरान संतोष जगदाले की पत्नी ने पति की हत्या का बदला लेने के लिए आतंकियों की आंखें फोड़ने, गोली मारने और उनके शवों को क्षत-विक्षत कर दिखाने की मांग की। वहीँ, कौस्तुभ गणबोटे की पत्नी ने वरिष्ठ नेता के सामने दिल दहला देने वाला खुलासा किया।पुणे, महाराष्ट्र पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए संतोष जगदाले के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए पुणे स्थित उनके आवास पर लाया गया। NCP-SCP प्रमुख शरद पवार ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और शोकाकुल परिवार से मुलाकात की।
*मुस्लिम घोड़े वाला बचा रहा था, इसलिए उसके कपड़े उतरवाये:*
कौस्तुभ गणबोटे की पत्नी ने बताया कि हमला अचानक हुआ और सभी स्तब्ध हो गए। “मारने वाले चार लोग थे। वे हमसे अजान पढ़ने को कह रहे थे। सभी महिलाओं ने जोर-जोर से अजान पढ़ा, लेकिन आतंकियों ने हमारे पतियों को मार डाला।”
उन्होंने आगे बताया कि एक स्थानीय मुस्लिम घोड़ेवाला, जो उन्हें बचाने की कोशिश कर रहा था, उसे भी आतंकियों ने गोली मार दी। उसने आतंकियों से कहा कि वे मासूम लोगों को क्यों मार रहे हैं, इनकी क्या गलती है? इसके बाद आतंकियों ने उसके कपड़े उतरवाकर उसे भी गोली मार दी।
*सीएम फडणवीस ने अतुल मोने, संजय लेले और हेमंत जोशी के पार्थिव शरीर पर श्रद्धांजलि अर्पित की:*
गणबोटे ने कहा, “हमारे मुस्लिम घोड़ेवाले बहुत अच्छे थे, उन्होंने हमें बचाने के लिए जान जोखिम में डाली। गोलीबारी के बाद वे हमें वापस लेने आए। आतंकियों ने उसके साथी से पूछा, ‘अजान पढ़ सकता है क्या?’ यह सुनकर हम सबने अपनी बिंदी निकाल दी और ‘अल्लाह हू अकबर’ कहने लगे।“घटना के बाद सेना और स्थानीय लोगों ने मदद की। जब हम वापस आ रहे थे तो सेना वाले घटनास्थल की ओर जा रहे थे, लेकिन तब तक आतंकी भाग चुके थे। पीड़ितों के अनुसार, बैसरन घाटी में जहां आतंकियों ने घातक हमला किया, वहां कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं